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07 नवंबर, 2010

“बिल्ली मौसी” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

catबिल्ली मौसी बिल्ली मौसी,
क्यों इतना गुस्सा खाती हो।
कान खड़ेकर बिना वजह ही, 
रूप भयानक दिखलाती हो।।
OLYMPUS DIGITAL CAMERA         मैं गणेश जी का वाहन हूँ,
मैं दुनिया में भाग्यवान हूँ।। 
चाल समझता हूँ सब तेरी,
गुणी, चतुर और ज्ञानवान हूँ।
cat_1 छल और कपट भरा है मन में,
धोखा क्यों जग को देती हो?
मैं नही झाँसे में आऊँगा,
आँख मूँद कर क्यों बैठी हो?

4 टिप्‍पणियां:

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