विश्व कविता दिवस पर
प्रस्तुत है आज एक बाल कविता
सड़क किनारे जो भी पाया,
पेट उसी से यह भरती है।
मोहनभोग समझकर,
भूखी गइया कचरा चरती है।।
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विश्व कविता दिवस पर
प्रस्तुत है आज एक बाल कविता
सड़क किनारे जो भी पाया,
पेट उसी से यह भरती है।
मोहनभोग समझकर,
भूखी गइया कचरा चरती है।।
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