मित्रों! आज प्रांजल-प्राची ने माँग रखी कि
बाबा जी मकड़ी पर लिखिए न!
उन्हीं की माँगपर प्रस्तुत है यह बालकविता!
उन्हीं की माँगपर प्रस्तुत है यह बालकविता!
कीट-पतंगे, मच्छर-मक्खी,
कच्चे जालों में जकड़े।
उनको ही तो कहती दुनिया,
आठ टाँग के मकड़ी-मकड़े।।
झाड़ी और दीवारों पर।
और दौड़ते रहते हैं ये,
इन महीन से तारों पर।।
कभी यह ऊपर को चढ़ते,
कभी फिसल नीचे आ जाते।
किन्तु निरन्तर कोशिश करते,
श्रम से कभी नहीं घबड़ाते।।
अपने पथ को निर्मित करते,
देखो इन यजमानों को।
करते रहते हैं ये प्रेरित,
जग में सब इन्सानों को।
एक बार हो गये विफल तो,
अगली बार सफल होंगे।
यदि होंगे मजबूत इरादे,
कभी नहीं असफल होंगे।।
वाह बहुत ही सुंदर संदेश मयी बाल कविता ....
जवाब देंहटाएंकरते रहते हैं ये प्रेरित,
जवाब देंहटाएंजग में सब इन्सानों को।
बहुत बढ़िया |
बधाई ||
http://dineshkidillagi.blogspot.com/
bahut hi prerna dayak kavita.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संदेशमयी बाल कविता।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुंदर बाल कविता| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया |
जवाब देंहटाएंबधाई ||
वाह! वाह!
जवाब देंहटाएंएक मकड़ी ने काटा तो एक बच्चा, स्पाइडर मैन बन गया था। मैने भी बहुत कहा कि ऐ मकड़ी! मुझे भी स्पाइडर मैन बना दो न...! मगर किसी ने नहीं बनाया।
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुंदर संदेश मयी बाल कविता ....
जवाब देंहटाएंBloggers Meet Weekly 14 ke liye yahi chuni gayi hai .
आदरणीय शास्त्री जी अभिवादन ..सुन्दर रचना ..हम काफी दिन इन रचनाओं से दूर रहे अब मै बच्चा भी लुत्फ़ .....
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
एक बार हो गये विफल तो,
अगली बार सफल होंगे।
यदि होंगे मजबूत इरादे,
कभी नहीं असफल होंगे।।