जो सबके मन को भाता है।
वो ही चश्मा कहलाता है।।
आयु जब है बढ़ती जाती।
जोत आँख की घटती जाती।।
जब हो पढ़ने में कठिनाई।
ऐनक होती है सुखदाई।।
इससे साफ नज़र आता है।
लिखना-पढ़ना हो जाता है।।
जब सूरज है ताप दिखाता।
चश्मा बहुत याद तब आता।।
तेज धूप से यह बचाता।
आँखों को ठण्डक पहुँचाता।।
चश्मा का गुणगान अच्छा लगा...सभी बच्चों को दिवाली की शुभकामनाएँ, बस पटाख़े सावधानी से जलाएँ|
जवाब देंहटाएंvaah chashme ke gun bahut sundar tareeke se batayen hain.bahut pyari rachna.
जवाब देंहटाएंबाबा का चश्मा गजब, करता दूर विकार |
जवाब देंहटाएंदूर-दृष्टि का दोष या, निकट दोष की मार ||
पोता-पोती ही सही, हैं आँखों के नूर |
पास सूझता एक से, दूजे से कुछ दूर ||
बहुत सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.. .दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंचश्मे के बगैर अपनी दुनिया ही चपटी लगती है :)
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए बहुत ही अच्छी कविता रची है सर!
सादर
सुंदर बाल गीत,चश्मेबद्दूर.
जवाब देंहटाएंसुंदर बाल गीत ..
जवाब देंहटाएं.. सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!
सुंदर बाल गीत ..
जवाब देंहटाएं.. सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!
Nice ...
जवाब देंहटाएं"Well done!"
जवाब देंहटाएंचश्मे की महिमा अच्छी लगी ...सादर
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी अभिवादन ..सुन्दर ज्ञान वर्धक रचना ..आइये आँखों को धूल और धुप से मुक्त रखें
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
बहुत ही बढि़या
जवाब देंहटाएंकल 09/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।
धन्यवाद!