(चित्र साभार-डॉ.प्रीत अरोरा)
आओ बच्चों खेल सिखायें।
खेल-खेल में रेल चलायें।।
इंजन राम बना है आगे,
उसके पीछे डिब्बे भागे,
दीदी हमको खेल खिलायें।
खेल-खेल में रेल चलायें।।
साथ-साथ में हम गायेंगे,
सिगनल पर हम रुक जायेंगे,
अनुशासन का पाठ पढ़ायें।
खेल-खेल में रेल चलायें।।
बड़े-बड़े हम काम करेंगे,
हम स्वदेश का नाम करेंगे,
पढ़-लिख कर ज्ञानी कहलायें।
खेल-खेल में रेल चलायें।।
हम धरती माँ के सपूत हैं,
मानवता के अग्रदूत हैं,
विश्वगुरू फिर से बन जायें।
खेल-खेल में रेल चलायें।।
कोटि कोटि धन्यवाद मयंक जी.बहुत सुंदर रचना .मेरे चित्र को जगह देने के लिए नमन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्यारा बाल गीत सुन्दर चित्र के साथ
जवाब देंहटाएंमनभावन बाल गीत...चित्र भी सुंदर!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्यारा बाल गीत ...
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल गीत,
जवाब देंहटाएंआओँ(आओ ) बच्चों खेल सिखायें।
जवाब देंहटाएंखेल-खेल में रेल चलायें।।
नेताओं की रेल बनाएं ,
मंद मति उसमें बिठलाएं .सुन्दर बाल गीत .सांगीतिक ध्वनी सौन्दर्य लिए .
सुन्दर बाल कविता
जवाब देंहटाएंअति मधुर ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर व् प्रेरक बाल गीत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल गीत,बधाई
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