मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता
"भगवान एक है"
मन्दिर, मस्जिद और
गुरूद्वारे।
भक्तों
को लगते हैं प्यारे।।
हिन्दू
मन्दिर में हैं जाते।
देवताओं
को शीश नवाते।।
ईसाई
गिरजाघर जाते।
दीन-दलित
को गले लगाते।।
अल्लाह
का फरमान जहाँ है।
मुस्लिम
का कुर-आन वहाँ है।।
जहाँ
इमाम नमाज पढ़ाता।
मस्जिद
उसे पुकारा जाता।।
सिक्खों
को प्यारे गुरूद्वारे,
मत्था
वहाँ टिकाते सारे।।
राहें
सबकी अलग-अलग हैं।
पर
सबके अरमान नेक है।
नाम
अलग हैं, पन्थ भिन्न हैं।
पर
जग में भगवान एक है।।
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25 जुलाई, 2013
"भगवान एक है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सुन्दर संदेश देती शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संदेश देती बढिया कृति..
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