मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता
"तितली रानी"
मन को बहुत लुभाने वाली,
तितली रानी कितनी सुन्दर।
भरा हुआ इसके पंखों में,
रंगों का है एक समन्दर।।
उपवन में मंडराती रहती,
फूलों का रस पी जाती है।
अपना मोहक रूप दिखाने,
यह मेरे घर भी आती है।।
भोली-भाली और सलोनी,
यह जब लगती है सुस्ताने।
इसे देख कर एक छिपकली,
आ जाती है इसको खाने।।
आहट पाते ही यह उड़ कर,
बैठ गयी चौखट के ऊपर।
मेरा मन भी ललचाया है,
मैं भी देखूँ इसको छूकर।।
इसके रंग-बिरंगे कपड़े,
होली की हैं याद दिलाते।
सजी धजी दुल्हन को पाकर,
|
यह ब्लॉग खोजें
30 जुलाई, 2013
"तितली रानी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक.)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत सुन्दर बाल गीत..
जवाब देंहटाएंप्यारी, सुंदर तितली रानी..... बहुत सुंदर बाल कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल कविता,आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (01-08-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 72" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत-
जवाब देंहटाएंआभार गुरु जी-
ak bar phir se bachapan ki yaad dila dee aapke balgeet ne ....
जवाब देंहटाएंbacpan kee yaadein tarotaaza ho gayeen
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल गीत....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बालगीत..
जवाब देंहटाएंतितली सा ही सुंदर बाल गीत ।
जवाब देंहटाएं