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10 फ़रवरी, 2017

बालकविता "क.ख.ग.घ. सिखलाऊँगी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)


चित्रांकन - कु. प्राची
मम्मी देखो मेरी डॉल।
खेल रही है यह तो बॉल।।

पढ़ना-लिखना इसे न आता।
खेल-खेलना बहुत सुहाता।।

कॉपी-पुस्तक इसे दिलाना।
विद्यालय में नाम लिखाना।।

मैं गुड़िया को रोज सवेरे।
लाड़ लड़ाऊँगी बहुतेरे।।

विद्यालय में ले जाऊँगी।
क.ख.ग.घ. सिखलाऊँगी।।

3 टिप्‍पणियां:

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