कितना सुन्दर और सजीला।
खट्टा-मीठा और रसीला।।
हरे-सफेद, बैंगनी-काले।
छोटे-लम्बे और निराले।।
हैं शहतूत बहुत गुण वाले।।
पारा जब दिन का बढ़ जाता।
तब शहतूत बहुत मन भाता।
इसका वृक्ष बहुत उपयोगी।
ठण्डी छाया बहुत निरोगी।।
टहनी-डण्ठल सब हैं बढ़िया।
इनसे बनती हैं टोकरियाँ।।
इनसे बनती हैं टोकरियाँ।।
रेशम के
कीड़ों का पालन।
निर्धन को देता है यह धन।।
निर्धन को देता है यह धन।।
आँगन-बगिया में उपजाओ।
खेतों में शहतूत उगाओ।।
खेतों में शहतूत उगाओ।।
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