चिमटे जैसी भुजा बनी हैं,
प्यारी सी दुम धनुष-कमान।
विष से भरा दंश है घातक है,
जैसे हो जहरीला बाण।।
कमर मंथरा जैसी टेढ़ी,
परसराम जैसी आदत है।
प्रीत-रीत यह नहीं जानता,
इसको छूना ही आफत है।।
प्रीत-रीत यह नहीं जानता,
इसको छूना ही आफत है।।
डरता नहीं किसी से है यह,
छोटा-खोटा और कृतघ्न है।
अकड-अकड़ कर चलता है यह,
अपनी ही धुन में निमग्न है।।
मन से क्रोधी, तन से तिरछा,
नहीं कहीं से यह सरल है।
दूर हमेशा रहना इससे,
बिच्छू का पर्याय गरल है।।
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी आपकी प्रतिभा का तो मैं आशिक हो गया. बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक रचना है। आभार एवं बधाई।
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ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?
तो क्या वृश्चिक राशि वाले भी!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना !!
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