हँसता-खिलता जैसा,
इन प्यारे सुमनों का मन है।
गुब्बारों सा नाजुक,
सारे बच्चों का जीवन है।।
नन्हें-मुन्नों के मन को,
मत ठेस कभी पहुँचाना।
नित्यप्रति कोमल पौधों पर,
स्नेह-सुधा बरसाना ।।
ये कोरे कागज के जैसे,
होते भोले-भाले।
इन नटखट गुड्डे-गुड़ियों के,
होते खेल निराले।।
भरा हुआ चंचल अखियों में,
कितना अपनापन है।
झूम-झूम कर मस्ती में,
हँसता-गाता बचपन है।।
बधाई!
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बहुत बढ़िया!
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नया संकलन आने की सूचना भी मिल गई!
मेरी भी बधाई स्वीकार करें .
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है बडी जल्दी तैयारी कर ली।
जवाब देंहटाएंबहुत सा प्यार
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत बधाई....
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