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18 नवंबर, 2011

"लौकी होती गुणकारी है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

लौकी होती गुणकारी है।
बीमारी इससे हारी है।।

रोज हाट से लौकी लाओ।
छीलो-काटो और पकाओ।।

सब्ज़ी या रायता बनाओ।
रोटी-पूड़ी के संग खाओ।।

चाहे इसका जूस निकालो।
थोड़ा काला नमक मिलालो।।

रोज सवेरे यह रस पी लो।
आनन्दित हो जीवन जी लो।।

यह रसायन हितकारी है।
इसीलिए लौकी प्यारी है।।

11 टिप्‍पणियां:

  1. लौकी का गुणगान करती सुन्दर कविता...

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  2. बहुत सुन्दर ||

    दो सप्ताह के प्रवास के बाद
    संयत हो पाया हूँ ||

    बधाई ||

    जवाब देंहटाएं
  3. lauki badi gunkari hai baba ramdev ji ne bhi bataya hai.shayad bachche lauki khana seekh jaayen.bahut achchi balkavita.

    जवाब देंहटाएं
  4. लोकी के गुणों की लयात्मक पोस्ट
    शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  5. लोकी के गुणों की लयात्मक पोस्ट
    शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  6. लौकी की सब्जी और उससे बना रायता तो मुझे बहुत पसंद है ही...लेकिन ये कविता तो उससे भी अच्छी है...:)

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर

    लौकी होती गुणकारी है।
    बीमारी इससे हारी है।।

    सत्य वचन

    जवाब देंहटाएं
  8. लौकी के गुण बताती प्यारी और उपयोगी रचना |
    आशा

    जवाब देंहटाएं

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