शीतल पवन चली सुखदायी। रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई। भीग रहे हैं पेड़ों के तन, भीग रहे हैं आँगन उपवन, हरियाली सबके मन भाई। रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।। मेंढक टर्र-टर्र चिल्लाते, झींगुर मस्ती में हैं गाते, आमों की बहार ले आई। रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।। आसमान में बिजली कड़की, डर से सहमें लडका-लड़की, बन्दर जी की शामत आई। रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।। कहीं छाँव है, कहीं धूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, धरती ने है प्यास बुझाई। रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।। कल विद्यालय भी जाना है, होम-वर्क भी जँचवाना है, मुन्नी कॉपी लेकर आयी। रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।। |
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21 दिसंबर, 2011
"वर्षा आई" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत प्यारी कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्यारी कविता...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसर्दियों के मौसम में वर्षा का गीत ...ज्यादा ठंडक दे रहा है
बहुत सुन्दर प्यारी रचना.....
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी बाल कविता
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा बाल गीत...बधाई.
जवाब देंहटाएंसर्दियों के मौसम में वर्षा...??? बहुत सुन्दर बाल गीत ..
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा चित्रण
जवाब देंहटाएंमाह दिसम्बर,वर्षा-गीत ?
जवाब देंहटाएंबूँदों का रिमझिम संगीत.
अति सुंदर.......
अच्छा बाल गीत पर दिसंबर में बरसात
जवाब देंहटाएंऐसा क्यूँ ?
पर कविता बहुत बहुत अच्छी |
आशा
सुन्दर बालगीत....
जवाब देंहटाएंसादर.
behtarin varsha geet..barish ki rimjhim fuharon ka maja aa gaya..sadar badhayee
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