सब्जी है यह प्यारी-प्यारी।
मेथी की महिमा है न्यारी।।
गोल-गोल पत्तों वाली है।
इसमें कितनी हरियाली है।।
घोट-पीसकर साग बनाओ।
या आलू संग इसे पकाओ।।
यकृत को ताकत यह देगी।
तन के सभी रोग हर लेगी।।
इसे लगाओ घर-आँगन में।
महक उगेगी यह उपवन में।।
अद्भुत है मेथी की माया।
करती यह निरोगी काया।।
methi ki maaya , vaah vaah , aur aapki maya hai har topic par kavita rach dena ....
जवाब देंहटाएंऔर मेथी के पराँठे -हरी मिर्चवाले.
जवाब देंहटाएंक्या दिव्य स्वाद !
वाह छोटे छोटे आलू और भीनी भीनी मेथी का जवाब नहीं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर... मैथी के पराठे..
जवाब देंहटाएंVery Nice post
जवाब देंहटाएंबच्चों को मेथी जरूर आकर्षित करेगी अब तो ..
जवाब देंहटाएंअपूर्व!
जवाब देंहटाएंइससे पहले मेथी पर
मैंने कभी कोई कविता नहीं पढ़ी!
बहुत सुंदर गुणकारी कविता...
जवाब देंहटाएंस्वस्थ नीरोगी
सबके मन भाते
मेथी पराठे|
Nice .
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी ..सुन्दर सन्देश देती बाल रचना मधुमेह में भी रामबाण है यह मेथी ...
जवाब देंहटाएंआभार
भ्रमर ५
बहुत ही सरल ढंग से मेथी का गुणगान .. और ऐसा कि जिसे बच्चे बच्चे याद कर लें .. वाकई मेथी बहुत ही लाभदायक है
जवाब देंहटाएं