मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
एक बालकविता
"मेरा झूला"
मम्मी जी ने इसको डाला।
मेरा झूला बडा़ निराला।।
खुश हो जाती हूँ मैं कितनी,
जब झूला पा जाती हूँ।
होम-वर्क पूरा करते ही,
मैं इस पर आ जाती हूँ।
करता है मन को मतवाला।
मेरा झूला बडा़ निराला।।
मुझको हँसता देख,
सभी खुश हो जाते हैं।
बाबा-दादी, प्यारे-प्यारे,
नये खिलौने लाते हैं।
आओ झूलो, मुन्नी-माला।
मेरा झूला बडा़ निराला।।
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10 जून, 2014
"मेरा झूला" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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beautiful...
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना
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