बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी,
क्यों इतना गुस्सा खाती हो।
कान खड़ेकर बिना वजह ही,
रूप भयानक दिखलाती हो।।
मैं गणेश जी का वाहन हूँ,
मैं दुनिया में भाग्यवान हूँ।।
चाल समझता हूँ सब तेरी,
गुणी, चतुर और ज्ञानवान हूँ।
छल और कपट भरा है मन में,
धोखा क्यों जग को देती हो?
मैं नही झाँसे में आऊँगा,
आँख मूँद कर क्यों बैठी हो? |
सुन्दर बाल रचना।
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंप्यारी बाल कविता..बधाई.
जवाब देंहटाएं