तार वीणा के सुनाओ कर रहे हम कामना।
माँ करो स्वीकार नन्हे सुमन की आराधना।।
इस ध्ररा पर ज्ञान की गंगा बहाओ,
तम मिटाकर सत्य के पथ को दिखाओ,
लक्ष्य में बाधक बना अज्ञान का जंगल घना।
माँ करो स्वीकार नन्हे सुमन की आराधना।।
बेसुरे से राग में, अनुराग भर दो,
फँस गये हैं हम भँवर में, पार कर दो,
शारदे माँ कुमति हरकर सबको मेधावी बना।
माँ करो स्वीकार नन्हे सुमन की आराधना।।
वन्दना है आपसे, रसना में रस की धार दो,
हम निपट अज्ञानियों को मातु निज आधार दो,
माँ हमें वरदान दो, होवें सुफल सब साधना।
माँ करो स्वीकार नन्हे सुमन की आराधना।।
बहुत सुन्दर लगी आपकी यह रचना.
जवाब देंहटाएंइस ध्ररा पर ज्ञान की गंगा बहाओ,
जवाब देंहटाएंतम मिटाकर सत्य के पथ को दिखाओ,
लक्ष्य में बाधक बना अज्ञान का जंगल घना।
माँ करो स्वीकार नन्हे सुमन की आराधना।।
बेहद भावप्रवण आराधना……………बहुत बढिया लगी।
सुन्दर भावमय शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंshastriji!
जवाब देंहटाएंbhav bhare hriday se ki hai aapne MA VANI ki vandna. man gadgad ho gaya.