सुन्दर-सुन्दर सबसे न्यारा।
प्राची का घर सबसे प्यारा।।
खुला-खुला सा नील गगन है।
हरा-भरा फैला आँगन है।।
पेड़ों की छाया सुखदायी।
सूरज ने किरणें चमकाई।।
कल-कल का है नाद सुनाती।
निर्मल नदिया बहती जाती।।
तन-मन खुशियों से भर जाता।
यहाँ प्रदूषण नहीं सताता।।
लोग पुराने यह कहते हैं।
कच्चे घर अच्छे रहते हैं।।
वाह! आपने तो कविता के माध्यम से कच्चे घरो की अहमियत बता दी…………बहुत सुन्दर बाल कविता।
जवाब देंहटाएंnice!nice!
जवाब देंहटाएंवाह! बेहद खुबसूरत बाल कविता..
जवाब देंहटाएंप्रेमरस.कॉम
बहुत प्यारी रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चित्र के साथ बढ़िया कविता!
जवाब देंहटाएंसच प्राची दी का घर सबसे न्यारा है ...बहुत सुन्दर कविता और चित्र भी .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नानाजी
अनुष्का
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