मैं तुमको गुरगल कहता हूँ,
लेकिन तुम हो मैना जैसी।
तुम गाती हो कर्कश सुर में,
क्या मैना होती है ऐसी??
भोली-भाली चिड़ियों को तुम,
लड़कर मार भगाती हो।
प्यारे-प्यारे कबूतरों को भी,
तुम बहुत सताती हो।।
मीठी बोली से ही तो,
मन का उपवन खिलता है।
अच्छे-अच्छे कामों से ही,
जग में यश मिलता है।।
बैर-भाव को तजकर ही तो,
अच्छे तुम कहलाओगे।
मधुर वचन बोलोगे तो,
सबके प्यारे बन जाओगे।।
लेकिन तुम हो मैना जैसी।
तुम गाती हो कर्कश सुर में,
क्या मैना होती है ऐसी??
सुन्दर तन पाया है तुमने,
लेकिन बहुत घमण्डी हो।
नहीं जानती प्रीत-रीत को,
तुम चिड़िया उदण्डी हो।।
जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाकर,
तुम आगे को बढ़ती हो।
अपनी सखी-सहेली से तुम,
सौतन जैसी लड़ती हो।।
लड़कर मार भगाती हो।
प्यारे-प्यारे कबूतरों को भी,
तुम बहुत सताती हो।।
मीठी बोली से ही तो,
मन का उपवन खिलता है।
अच्छे-अच्छे कामों से ही,
जग में यश मिलता है।।
बैर-भाव को तजकर ही तो,
अच्छे तुम कहलाओगे।
मधुर वचन बोलोगे तो,
सबके प्यारे बन जाओगे।।
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंमगर यह तो समूह में
बहुत प्यार से
मिलजुलकर रहती है!
वाह! बहुत बढिया बाल गीत्।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल गीत...पसंद आया.
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'पाखी की दुनिया' में 'चल मेरे हाथी'
bahut khoob... maina par sundar geet... :)
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