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28 जून, 2011

"प्रांजल की साइकिल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

मेरी साइकिल कितनी प्यारी।
यह है मेरी नई सवारी।।
अपनी कक्षा के बच्चों में,
फर्स्ट डिवीजन मैंने पाई,
खुश होकर तब बाबा जी ने,
मुझे साईकिल दिलवाई,
इसको पाकर मेरे मन में,
जगी उमंगे कितनी सारी।
यह है मेरी नई सवारी।।
अपने घर के आँगन में मैं,
सीख रहा हूँ इसे चलाना,
कितना अच्छा लगता मुझको,
टन-टन घण्टी बहुत बजाना,
हैण्डिल पकड़ो, पैडिल मारो,
नहीं चलाना इसको भारी।
यह है मेरी नई सवारी।।
बायीं ओर चलाकर इसको,
नियम सड़क के अपनाऊँगा ,
बस्ता पीछे रखकर इसको,
विद्यालय में ले जाऊँगा,
साईकिल से अब करली है,
देखो मैंने पक्की यारी।
मेरी साइकिल कितनी प्यारी।
यह है मेरी नई सवारी।।

13 टिप्‍पणियां:

  1. दादा बाईसिकल के बदले साईकल ज्यादा जमेगा ऐसा लगा मुझे

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  2. प्रांजल को प्रथम आने पर बधाई!!!

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  3. प्रांजल को प्रथम आने पर बधाई...सुन्दर रचना...

    जवाब देंहटाएं
  4. जैसे-जैसे आयु बढ़ेगी, गति को भी तो बढ़ना है |
    दो घंटे पढ़ते थे अबतक, चार-पाँच अब पढ़ना है |

    खेल खेलने के घंटों को कम कैसे हो जाने दें --
    अच्छा मानव बनने को नित इक-इक सीढ़ी चढ़ना है ||

    समय बहुत अनमोल बचाना, इससे बढ़कर खुद को --
    संभल कर चले साइकिल, न बिगड़े, नहीं बिगड़ना है

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  5. सबसे पहले प्रांजल को प्रथम आने की हार्दिक बधाई ... और पुरस्कार स्वरुप सायकिल मिलने पर बधाई और शुभकामनायें .. ऐसे ही हमेशा जीवन में उन्नति करो यही आशीर्वाद है ..


    शास्त्री जी ,
    कविता बहुत सुन्दर है ... कोई भी विषय आपसे अछूता नहीं बचेगा ..

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  6. aadarniya mayank ji...aapke bibidh blog padhe.. aaj cycle ne apni aaur kheench liya..bahut umda rachna...apne blog pe nimantran ke sath..

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  7. बधाई
    बाबा को अच्छी कविता और पोते को अच्छी साइकिल के लिए .

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  8. प्रांजल जी को बहुत बधाई।
    बाबा ने साइकिल दिलवाई।

    कक्षा में तुम आए फर्स्ट
    पढ़ने में तुम बहुत ही अच्छे
    तुमको देख सभी कहते हैं
    ऐसे होते अच्छे बच्चे।

    प्राची को तुम सैर कराओ
    रहो मौज से बहना - भाई।

    एटलस की साइकिल है प्यारी
    रंग बहुत है इसका सुन्दर।
    कल से तो स्कूल खुलेगा
    क्या जाओगे इस पर चढ़कर?

    'नन्हें सुमन' यूँ ही मुस्कायें
    उनको देख खिले कविताई।

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