मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
"पढ़ना-लिखना मजबूरी है"
मुश्किल हैं विज्ञान, गणित,
हिन्दी ने बहुत सताया है।
अंग्रेजी की देख जटिलता,
मेरा मन घबराया है।।
भूगोल और इतिहास मुझे,
बिल्कुल भी नही सुहाते हैं।
श्लोकों के कठिन अर्थ,
मुझको करने नही आते हैं।।
देखी नही किताब उठाकर,
खेल-कूद में समय गँवाया,
अब सिर पर आ गई परीक्षा,
माथा मेरा चकराया।।
बिना पढ़े ही मुझको,
सारे प्रश्नपत्र हल करने हैं।
किस्से और कहानी से ही,
कागज-कॉपी भरने हैं।।
नाहक अपना समय गँवाया,
मैं यह खूब मानता हूँ।
स्वाद शून्य का चखना होगा,
मैं यह खूब जानता हूँ।।
तन्दरुस्ती के लिए खेलना,
सबको बहुत जरूरी है।
किन्तु परीक्षा की खातिर,
पढ़ना-लिखना मजबूरी है।।
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
"पढ़ना-लिखना मजबूरी है"
मुश्किल हैं विज्ञान, गणित,
हिन्दी ने बहुत सताया है। अंग्रेजी की देख जटिलता, मेरा मन घबराया है।। भूगोल और इतिहास मुझे, बिल्कुल भी नही सुहाते हैं। श्लोकों के कठिन अर्थ, मुझको करने नही आते हैं।। देखी नही किताब उठाकर, खेल-कूद में समय गँवाया, अब सिर पर आ गई परीक्षा, माथा मेरा चकराया।। बिना पढ़े ही मुझको, सारे प्रश्नपत्र हल करने हैं। किस्से और कहानी से ही, कागज-कॉपी भरने हैं।। नाहक अपना समय गँवाया, मैं यह खूब मानता हूँ। स्वाद शून्य का चखना होगा, मैं यह खूब जानता हूँ।। तन्दरुस्ती के लिए खेलना, सबको बहुत जरूरी है। किन्तु परीक्षा की खातिर, पढ़ना-लिखना मजबूरी है।। |
वास्तव में मित्र ! बाल- मन यथार्थ उन्देल्म कर रख दिया है !
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