“बिन वेतन का चौकीदार” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
“बिन वेतन का चौकीदार”
टॉम हमारा कितना अच्छा! लगता है यह सीधा सच्चा!! ठण्डे जल से रोज नहाता! फिर मुझसे कंघी करवाता!! बड़े-बड़े हैं इसके बाल! एक आँख है इसकी लाल!! घर भर को है इससे प्यार! प्राची करती इसे दुलार!! बिन वेतन का चौकीदार! सच्चा है यह पहरेदार!!
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सुन्दर .:)
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
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