जो है एक शीश को ढोता।
बुद्धिमान वह कितना होता।।
यह दशानन ज्ञानवान था।
बलशाली था और महान था।।
यह था वेद-शास्त्र का ज्ञाता।
यम तक इससे था घबराता।।
पूजा इसका नित्य कार्य था।
यह दुनिया में श्रेष्ठ आर्य था।।
किन्तु दम्भ जब इसमें आया।
इसने नीच कर्म अपनाया।।
अनाचार अब यह करता था।
सारा जग इससे डरता था।।
जब इतने आतंक मचाया।
काल राम तब बनकर आया।।
रूप धरा था वनचारी का।
अन्त किया अत्याचारी का।।
जो जग से आतंक मिटाता।
वो घर-घर में पूजा जाता।।
जो पापी को देता मार।
होती उसकी जय-जयकार।। |
बहुत सुंदर बात बताने वाली कविता .....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जो पापी को देता मार।
जवाब देंहटाएंहोती उसकी जय-जयकार।।
सुन्दर रचना सुन्दर विचार
वाह वाह्…………बहुत सुन्दर संदेश देती सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संदेश देती सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सन्देश देती बहुत प्यारी रचना नानाजी ,
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ !!
अनुष्का
सुन्दर सन्देश देती हुई बहुत ख़ूबसूरत रचना!
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