देख-देख मन ललचाया है
सेवों का मौसम आया है ।
कितना सुन्दर रूप तुम्हारा।
लाल रंग है प्यारा-प्यारा।।
प्राची ने है एक उठाया।
खाने को है मुँह फैलाया।।
भइया ने दो सेव उठाये।
दोनों हाथों में लहराये।।
प्राची कहती मत ललचाओ।
जल्दी से इनको खा जाओ।।
सेव नित्यप्रति जो खाता है।
वो ताकतवर बन जाता है।। |
बहुत शानदार कविता!
जवाब देंहटाएंसेव की बड़ी प्यारी कविता .... धन्यवाद मयंक अंकल
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !!
जवाब देंहटाएंउम्म्म यम यम .....सेंब तो मुझे भी बड़े पसंद है :)
जवाब देंहटाएंअनुष्का
बहुत सुन्दर कविता, सचमुच मेरा मन भी ललचा रहा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता।
जवाब देंहटाएं