यह ब्लॉग खोजें

10 मार्च, 2011

"होली का मौसम अब आया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

रंग-गुलाल साथ में लाया।
होली का मौसम अब आया।
पिचकारी फिर से आई हैं,
बच्चों के मन को भाई हैं,
तन-मन में आनन्द समाया।
होली का मौसम अब आया।।
670870_f520
गुझिया थाली में पसरी हैं,
पकवानों की महक भरी हैं, 
मठरी ने मन को ललचाया।
होली का मौसम अब आया।।
mathri_salted_crackers
बरफी की है शान निराली,
भरी हुई है पूरी थाली,
अम्मा जी ने इसे बनाया।
होली का मौसम अब आया।।
मम्मी बोली पहले खाओ,
उसके बाद खेलने जाओ,
सूरज ने मुखड़ा चमकाया।
होली का मौसम अब आया।

6 टिप्‍पणियां:

  1. होली की रंग बिरंगी शुरुआत वाह!!!

    regards

    जवाब देंहटाएं
  2. थैंक्यू शास्त्री जी,
    इतनी मीठी मिठाई तो मुझे कभी खाने ही नहीं मिली। हैप्पी होली

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर...इतनी मिठाई देखकर तो बड़ों का भी मन ललचाने लगा..आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. गीत तो इतना अच्छा है ही लेकिन फोटोस देख कर मुह में पानी आगया ..

    जवाब देंहटाएं

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।