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05 जून, 2011

"वृक्ष अमूल्य धरोहर हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष
रहता वन में और हमारे,
संग-साथ भी रहता है।
यह गजराज तस्करों के,
जालिम-जुल्मों को सहता है।।
समझदार है, सीधा भी है,
काम हमारे आता है।
सरकस के कोड़े खाकर,
नूतन करतब दिखलाता है।।
मूक प्राणियों पर हमको तो,
तरस बहुत ही आता है।
इनकी देख दुर्दशा अपना,
सीना फटता जाता है।।

वन्य जीव जितने भी हैं,
सबका अस्तित्व बचाना है,
जंगल के जीवों के ऊपर,
दया हमें दिखलाना है।
वृक्ष अमूल्य धरोहर हैं,
इनकी रक्षा करना होगा।
जीवन जीने की खातिर,
वन को जीवित रखना होगा।

तनिक-क्षणिक लालच को,
अपने मन से दूर भगाना है।
धरती का सौन्दर्य धरा पर,
हमको वापिस लाना है।।

13 टिप्‍पणियां:

  1. वृक्ष तो बचाने ही होंगे, अगर इस पृथ्वी पर जीवन बचाना है।

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  2. बाल कविता के माध्‍यम से बेहतरीन संदेश...
    शुभकामनाएं आपको

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  3. बेहतरीन संदेश... शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. वन और वन्य प्राणियों को लेकर बड़ी ही सधी हुयी प्रेरक रचना लिखी है आपने . आपकी अजस्र प्रतिभा से अभिभूत हूँ . आप की सक्रियता भी नि : संदेह एक कविता ही है जो सहज आह्लादित ही नहीं , उत्साहित भी करती है .
    आप ब्लागिंग के माध्यम से यों ही साहित्य जगत को उपकृत करते रहें , यही कामना है . मेरी अछोर शुभकामनाएं .

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  5. सुंदर कविता ......प्यारे चित्र

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  6. विश्व पर्यावरण दिवस पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार शास्त्री जी

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  7. विश्व पर्यावरण दिवस की एक बहुत ही सुन्दर और सचेत करती रचना।

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  8. सच... में बेहतरीन ...बहुत उम्दा

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  9. सुन्दर कविता...सुन्दर चित्र..सुन्दर सीख.
    ___________________

    'पाखी की दुनिया ' में आपका स्वागत है !!

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  10. सुंदर कविता ......प्यारे चित्र.सुन्दर सीख.

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  11. dr.saheb bachon ki blog dekhkar khub aanad aayaa viksh,bachen ,vayajeevon ki chitr may prastuti bha gayi sadhuwad

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