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23 सितंबर, 2011

" बिजली कड़की पानी आया" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


 
उमड़-घुमड़ कर बादल आये।
घटाटोप अँधियारा लाये।।
काँव-काँव कौआ चिल्लाया।
लू-गरमी का हुआ सफाया।।
 मोटी जल की बूँदें आईं।
आँधी-ओले संग में लाईं।।
धरती का सन्ताप मिटाया।
बिजली कड़की पानी आया।।
लगता है हमको अब ऐसा।
मई बना चौमासा जैसा।।
पेड़ों पर लीची हैं झूली।
बगिया में अमिया भी फूली।।
आम और लीची घर लाओ।
जमकर खाओ, मौज मनाओ।।

11 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह!!!! बहुत सुंदर पहली बारिश के मौसम के भाव जगाती मनमोहक कविता....

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  2. वाह! मजा आ गया,

    पेड़ों पर लीची हैं झूली।
    बगिया में अमिया भी फूली।।
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  3. बढिया कविता।
    वैसे आम तो गया साल भर के लिये और लीची का पता नी।

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  4. बहुत ही सुन्दर कविता...थैंक्यू अंकल!!!

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  5. बहुत बढिया बाल कविता।आभार...

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  6. पेड़ों पर लीची हैं झूली।
    बगिया में अमिया भी फूली।।
    आनंद से मन मयूर की कली झूली....बहुत ही सुन्दर भाव युक्त बाल कविता....

    जवाब देंहटाएं

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