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20 दिसंबर, 2013

"गैस सिलेण्डर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
 
एक बालकविता
"गैस सिलेण्डर"
 
 मम्मी की आँखों का तारा।
गैस सिलेण्डर कितना प्यारा।।
 
रेगूलेटर अच्छा लाना।
सही ढंग से इसे लगाना।।

गैस सिलेण्डर है वरदान।
यह रसोई-घर की है शान।।

दूघ पकाओ, चाय बनाओ।
मनचाहे पकवान बनाओ।।

बिजली अगर नही है घर में।
यह प्रकाश देता पल भर में।।
 
बाथरूम में इसे लगाओ।
गर्म-गर्म पानी से न्हाओ।।

बीत गया है वक्त पुराना।
अब आया है नया जमाना।।

कण्डे, लकड़ी अब नही लाना।
बड़ा सहज है गैस जलाना।।

किन्तु सुरक्षा को अपनाना।
इसे कार में नही लगाना।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सटीक ! सुन्दर बाल-कविता !!
    भगवान करे गरीब से गरीब को यह सुविधा उपलब्ध हो !!

    जवाब देंहटाएं
  2. बाथरूम में इसे लगाओ।
    गर्म-गर्म पानी से न्हाओ।।

    बीत गया है वक्त पुराना।
    अब आया है नया जमाना।।

    कण्डे, लकड़ी अब नही लाना।
    बड़ा सहज है गैस जलाना।।

    किन्तु सुरक्षा को अपनाना।
    इसे कार में नही लगाना।

    जवाब देंहटाएं

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