मेरी बालकृति नन्हें सुमन से एक बालकविता "डस्टर कष्ट बहुत देता है" खुद तो धूल भरा होता है, लेकिन सबकी धूल हटाता। ब्लैकबोर्ड पर लिखे हुए को, जल्दी-जल्दी यह मिटाता।। विद्यालय अच्छा लगता, पर डस्टर बहुत कष्ट देता है। पढ़ना तो अच्छा लगता, पर लिखना बहुत कष्ट देता है।। दीदी जी तो अच्छी लगतीं, पर वो काम बहुत देतीं हैं। छोटी सी गलती पर भी वो, जस्टर कई जमा देतीं हैं।। कोई तो उनसे ये पूछे, क्या डस्टर का काम यहीं है। कोमल हाथों पर चटकाना, क्या डस्टर का काम यही है।। दीदी हम छोटे बच्चे हैं, कुछ तो रहम दिखाओ ना। डाँटो भी-फटकारो भी, पर हमको मार लगाओ ना।। |
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06 दिसंबर, 2013
"डस्टर कष्ट बहुत देता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार गुरुवर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति औरत :आदमी की गुलाम मात्र साथ ही ये भी देखें नाबालिग :उम्र की जगह अपराध की समझ व् परिपक्वता देखी जाये .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !सुन्दर बाल गीत।
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावी चर्चा ,खूबसूरत सेतु चयन संयोजन।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !सुन्दर बाल गीत।
खुद तो धूल भरा होता है,
लेकिन सबकी धूल हटाता।
ब्लैकबोर्ड पर लिखे हुए को,
जल्दी-जल्दी यह मिटाता।।
जल्दी जल्दी खूब मिटाता।