मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
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बालकविता
"तितली रानी कितनी सुन्दर"
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मन को बहुत लुभाने वाली,
तितली रानी कितनी सुन्दर।
भरा हुआ इसके पंखों में,
रंगों का है एक समन्दर।।
उपवन में मंडराती रहती,
फूलों का रस पी जाती है।
अपना मोहक रूप दिखाने,
यह मेरे घर भी आती है।।
भोली-भाली और सलोनी,
यह जब लगती है सुस्ताने।
इसे देख कर एक छिपकली,
आ जाती है इसको खाने।।
आहट पाते ही यह उड़ कर,
बैठ गयी चौखट के ऊपर।
मेरा मन भी ललचाया है,
मैं भी देखूँ इसको छूकर।।
इसके रंग-बिरंगे कपड़े,
होली की हैं याद दिलाते।
सजी धजी दुल्हन को पाकर,
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30 मार्च, 2014
"तितली रानी कितनी सुन्दर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
26 मार्च, 2014
"नन्हे सुमन की वन्दना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
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नन्हे सुमन की वन्दना
तान वीणा की सुनाओ कर रहे हम कामना।
माँ करो स्वीकार सुमनों की प्रबल आराधना।।
अब ध्ररा पर ज्ञान की गंगा बहाओ,
तम मिटाकर सत्य के पथ को दिखाओ,
लक्ष्य में बाधक बना अज्ञान का जंगल घना।
माँ करो स्वीकार सुमनों की प्रबल आराधना।।
बेसुरे से राग में, अनुराग भर दो,
फँस गये हैं हम भँवर में, पार कर दो,
शारदे माँ कुमति हरकर सबको मेधावी बना।
माँ करो स्वीकार सुमनों की प्रबल आराधना।।
वन्दना है आपसे, रसना में रस की धार दो,
हम निपट अज्ञानियों को मातु निज आधार दो,
माँ हमें वरदान दो, होवें सफल सब साधना।
माँ करो स्वीकार सुमनों की प्रबल आराधना।।
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22 मार्च, 2014
"मेरी प्रथम बालकृति 'नन्हे सुमन' की भूमिका" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उड़नतश्तरी वाले समीर लाल जी ने
लगभग 3 वर्ष पूर्व मेरी बालकृति
“नन्हे सुमन” की भूमिका लिखी थी!
एक अद्भुत संसार - ’नन्हें सुमन’
आज की इस भागती दौड़ती दुनिया में जब हर व्यक्ति अपने आप में मशगूल है। वह स्पर्धा के इस दौर में मात्र वही करना चाहता है जो उसे मुख्य धारा में आगे ले जाये, ऐसे वक्त में दुनिया भर के बच्चों के लिए मुख्य धारा से इतर कुछ स्रजन करना श्री रुपचन्द्र शास्त्री’मयंक’ जैसे सहृदय कवियों को एक अलग पहचान देता है।
‘मयंक’ जी ने बच्चों के लिए रचित बाल रचनाओं के माध्यम से न सिर्फ उनके ज्ञानवर्धन एवं मनोरंजन का बीड़ा उठाया है बल्कि उन्हें एक बेहतर एवं सफल जीवन के रहस्य और संदेश देकर एक जागरूक नागरिक बनाने का भी बखूबी प्रयास किया है।
पुस्तक ‘नन्हें सुमन’ अपने शीर्षक में ही सब कुछ कह जाती है कि यह नन्हें-मुन्नों के लिए रचित काव्य है। परन्तु जब इसकी रचनायें पढ़ी तो मैंने स्वयं भी उनका भरपूर आनन्द उठाया। बच्चों के लिए लिखी कविता के माध्यम से उन्होंने बड़ों को भी सीख दी है!
‘डस्टर’ बहुत कष्ट देता है’’ कविता का यह अंश बच्चों की कोमल पीड़ा को स्पष्ट परिलक्षित करता है-
‘‘कोई तो उनसे यह पूछे,
क्या डस्टर का काम यही है?
कोमल हाथों पर चटकाना,
क्या इसका अपमान नही है?’’
‘नन्हें सुमन’ में छपी हर रचना अपने आप में सम्पूर्ण है और उनसे गुजरना एक सुखद अनुभव है। उनमें एक जागरूकता है, ज्ञान है, संदेश है और साथ ही साथ एक अनुभवी कवि की सकारात्मक सोच है।
आराध्य माँ वीणापाणि की आराधना करते हुए कवि लिखता है-
‘‘तार वीणा के सुनाओ कर रहे हम कामना।
माँ करो स्वीकार नन्हे सुमन की आराधना।।
इस धरा पर ज्ञान की गंगा बहाओ,
तम मिटाकर सत्य के पथ को दिखाओ,
लक्ष्य में बाधक बना अज्ञान का जंगल घना।
माँ करो स्वीकार नन्हे सुमन की आराधना।।’’
मेरे दृष्टिकोण से तो यह एक संपूर्ण पुस्तक है जो बाल साहित्य के क्षेत्र में एक नया प्रतिमान स्थापित करेगी। मुझे लगता है कि इसे न सिर्फ बच्चों को बल्कि बड़ों को भी पढ़ना चाहिये।
मेरा दावा है कि आप एक अद्भुत संसार सिमटा पायेंगे ’नन्हें सुमन’ में, बच्चों के लिए और उनके पालकों के लिए भी!
कवि ‘‘मयंक’’ को इस श्रेष्ठ कार्य के लिए मेरा साधुवाद, नमन एवं शुभकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
उड़नतश्तरी.ब्लॉगस्पॉट.कॉम
36, Greenhalf Drive
Ajax, ON
Canada
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18 मार्च, 2014
"विद्यालय लगता है प्यारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
14 मार्च, 2014
"नटखट प्राची" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
10 मार्च, 2014
"मच्छरदानी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
"मच्छरदानी"
जिसमें नींद चैन की आती।
वो मच्छर-दानी कहलाती।।
लाल-गुलाबी और हैं धानी।
नीली-पीली बड़ी सुहानी।।
छोटी, बड़ी और दरम्यानी।
कई तरह की मच्छर-दानी।।
इसको खोलो और लगाओ।
बिस्तर पर सुख से सो जाओ।।
जब ठण्डक कम हो जाती है।
गरमी और बारिश आती है।।
तब मच्छर हैं बहुत सताते।
भिन-भिन करके शोर मचाते।।
खून चूस कर दम लेते हैं।
डेंगू-फीवर कर देते हैं।।
मच्छर से छुटकारा पाओ।
मच्छरदानी को अपनाओ।।
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
"मच्छरदानी"
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जिसमें नींद चैन की आती।
वो मच्छर-दानी कहलाती।।
लाल-गुलाबी और हैं धानी।
नीली-पीली बड़ी सुहानी।।
छोटी, बड़ी और दरम्यानी।
कई तरह की मच्छर-दानी।।
इसको खोलो और लगाओ।
बिस्तर पर सुख से सो जाओ।।
जब ठण्डक कम हो जाती है।
गरमी और बारिश आती है।।
तब मच्छर हैं बहुत सताते।
भिन-भिन करके शोर मचाते।।
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खून चूस कर दम लेते हैं।
डेंगू-फीवर कर देते हैं।।
मच्छर से छुटकारा पाओ।
मच्छरदानी को अपनाओ।।
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06 मार्च, 2014
"कूलर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
"कूलर"
ठण्डी-ठण्डी हवा खिलाये।
इसी लिए कूलर कहलाये।।
जब जाड़ा कम हो जाता है।
होली का मौसम आता है।।
फिर चलतीं हैं गर्म हवाएँ।
यही हवाएँ लू कहलायें।।
तब यह बक्सा बड़े काम का।
सुख देता है परम धाम का।।
कूलर गर्मी हर लेता है।
कमरा ठण्डा कर देता है।।
चाहे घर हो या हो दफ्तर।
सजा हुआ है यह खिड़की पर।।
इसकी महिमा अपरम्पार।
यह ठण्डक का है भण्डार।।
जब आता है मास नवम्बर।
बन्द सभी हो जाते कूलर।।
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
"कूलर"
ठण्डी-ठण्डी हवा खिलाये।
इसी लिए कूलर कहलाये।।
जब जाड़ा कम हो जाता है।
होली का मौसम आता है।।
फिर चलतीं हैं गर्म हवाएँ।
यही हवाएँ लू कहलायें।।
तब यह बक्सा बड़े काम का।
सुख देता है परम धाम का।।
कूलर गर्मी हर लेता है।
कमरा ठण्डा कर देता है।।
चाहे घर हो या हो दफ्तर।
सजा हुआ है यह खिड़की पर।।
इसकी महिमा अपरम्पार।
यह ठण्डक का है भण्डार।।
जब आता है मास नवम्बर।
बन्द सभी हो जाते कूलर।।
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02 मार्च, 2014
"लैपटॉप" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
“लैपटॉप”
इस बस्ते में क्या है भइया,
हमें खोल कर दिखलाओ!
कहाँ चले तुम इसको लेकर,
कुछ हमको भी बतलाओ!!
इसमें प्यारा लैपटॉप है,
छोटा सा है कम्प्यूटर!
नये जमाने का इसको ही,
हम तो कहते हैं ट्यूटर!!
जो कुछ डेस्कटॉप में होता,
वही सभी कुछ है इसमें!
चाहे कहीं इसे ले जाओ,
यही खूबियाँ हैं इसमें!!
अगर घूमने जाओ पार्क में,
संग इसे भी ले जाओ!
रेल और बस में जाओ तो,
इससे इण्टरनेट चलाओ!!
गाना सुनने का यदि मन हो,
मनचाहा तुम गीत सुनो!
देशी और विदेशी चाहे,
कैसा भी संगीत सुनो!!
इसमें छोटा माउस-पैड है,
सुन्दर सा की-बोर्ड बना है!
यह खिलौना बहुत सलोना,
मुझको इससे प्यार घना है!!
मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
“लैपटॉप”
इस बस्ते में क्या है भइया,
हमें खोल कर दिखलाओ!
कहाँ चले तुम इसको लेकर,
कुछ हमको भी बतलाओ!!
इसमें प्यारा लैपटॉप है,
छोटा सा है कम्प्यूटर!
नये जमाने का इसको ही,
हम तो कहते हैं ट्यूटर!!
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जो कुछ डेस्कटॉप में होता,
वही सभी कुछ है इसमें!
चाहे कहीं इसे ले जाओ,
यही खूबियाँ हैं इसमें!!
अगर घूमने जाओ पार्क में,
संग इसे भी ले जाओ!
रेल और बस में जाओ तो,
इससे इण्टरनेट चलाओ!!
गाना सुनने का यदि मन हो,
मनचाहा तुम गीत सुनो!
देशी और विदेशी चाहे,
कैसा भी संगीत सुनो!!
इसमें छोटा माउस-पैड है,
सुन्दर सा की-बोर्ड बना है!
यह खिलौना बहुत सलोना,
मुझको इससे प्यार घना है!!
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