मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
विद्यालय लगता है प्यारा
विद्या का भण्डार भरा है जिसमें सारा।मुझको अपना विद्यालय लगता है प्यारा।। नित्य नियम से विद्यालय में, मैं पढ़ने को जाता हूँ।इण्टरवल जब हो जाता मैं टिफन खोल कर खाता हूँ।खेल-खेल में दीदी जी विज्ञान गणित सिखलाती हैं।हिन्दी और सामान्य-ज्ञान भी ढंग से हमें पढ़ाती हैं।।कम्प्यूटर में सर जी हमको रोज लैब ले जाते है।माउस और कर्सर का हमको सारा भेद बताते हैं।। कम्प्यूटर में गेम खेलना सबसे ज्यादा भाता है।इण्टरनेट चलाना भी मुझको थोड़ा सा आता है।।जिनका घर है दूर वही बालक रिक्शा से आते हैं। जिनका घर है बहुत पास वो पैदल-पैदल जाते हैं।।पढ़-लिख कर मैं अच्छे-अच्छे काम करूँगा।दुनिया में अपने भारत का सबसे ऊँचा नाम करूँगा।
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