मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता
उमस-भरा गरमी का मौसम,
तन से बहे पसीना!
कड़ी धूप में कैसे खेलूँ,
इसने सुख है छीना!!
कुल्फी बहुत सुहाती मुझको,
भाती है ठंडाई!
दूध गरम ना अच्छा लगता,
शीतल सुखद मलाई!!
पंखा झलकर हाथ थके जब,
मैंने झूला झूला!
ठंडी-ठंडी हवा लगी तब,
मन ख़ुशियों से फूला!!
♥ (चित्र में : प्राची) ♥
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01 मई, 2014
♥ ♥ मन ख़ुशियों से फूला ♥ ♥ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
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बच्चों सी ही मासूमियत भरी कविता ,बहुत अच्छी लगी ....
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