मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता
बिकते आलू,बैंगन,भिण्डी।। कच्चे केले, पक्के केले। मटर, टमाटर के हैं ठेले।। गोभी,पालक,मिर्च हरी है। धनिये से टोकरी भरी है।। लौकी, तोरी और परबल हैं। पीले-पीले सीताफल हैं।। अचरज में है जनता सारी, सब्जी पर महँगाई भारी।। |
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05 मई, 2014
"सब्जी पर मँहगाई भारी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर..
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