सरदी भागी, गरमी आई!
पेड़ों पर हरियाली छाई!!
वासन्ती मौसम गदराया!
वृक्ष आम का है बौराया!!
बागों में कोयलिया बोली!
कानों में मिश्री सी घोली!!
सूरज पर चढ़ गई जवानी!
अच्छा लगता शीतल पानी!!
लू के गरम थपेड़े खाकर!
आम झूलते हैं पेड़ों पर!!
मानसून की बदली छाई!
छम-छम जल की बूँदें आई!!
आम रसीले मन को भाये!
हमने बड़े मजे से खाये!! |
bahut sundar chitron ke sath
जवाब देंहटाएंaam khane ka man ho gaya
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
nice
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर , आम देख कर मुह में पानी आ गया
जवाब देंहटाएंवाह...इतने सारे आम?????/ कविता बहुत रसीली लगी...
जवाब देंहटाएंpaanee me nahaate hue baalako se yaad aayaa
जवाब देंहटाएंhamne bhee kabhee aisee mastee khoob leenee hai
इतने सुन्दर तस्वीरें और ढेर सारे आम देखकर तो रहा नहीं जा रहा है! गर्मी के मौसम में आम खाने का मज़ा ही कुछ और है!
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंस्वाद आ गया ...........
क्यों बालक के मन को ललचा रहे हैं सर.. यहाँ कहाँ मिलेंगे रसीले दशहरी आम.. :(
जवाब देंहटाएंkavita or ped bahut asi tarah prastut kiya he
जवाब देंहटाएंkavita or photo dono asi tarah sunder man bhavn tarike se prastut kiya
जवाब देंहटाएंkavita or ped bahut asi tarah prastut kiya he
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