मेरी गइया सबसे न्यारी।
यह मुझको लगती है प्यारी।।
मम्मी इसको जब दिख जाती।
जोर-जोर से यह रम्भाती।।
मैं जब विद्यालय से आता।
अपनी गइया को सहलाता।।
तब यह गर्दन करती ऊपर।
रखने को मेरे काँधे पर।।
भोली-भाली इसकी सूरत।
ममता की यह लगती मूरत।।
गंगा-गइया बहुत महान।
ये हैं भारत की पहचान।।
स्वर्ग हमें धरती पर लाना।
इसीलिए है इन्हें बचाना।। |
हर - हर गंगे !
जवाब देंहटाएंनि:संदेह एक बहुत सुंदर बाल कविता. आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत बाल कविता! सुन्दर प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंजय हो गंगा-गइया की!
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मेरा कान्हा, मेरा मीत ... ... .
आज सुना दे मुझको कान्हा ... ... .
Bahut Sunadar..
जवाब देंहटाएंआज इसी की जरूरत है ……………………।दोनो को ही बचाना है…………………सुन्दर सन्देश देती कविता।
जवाब देंहटाएंहर - हर गंगे !
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