“मन खुशियों से फूला” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
उमस भरा गरमी का मौसम, तन से बहे पसीना! कड़ी धूप में कैसे खेलें, इसने सुख है छीना!!
कुल्फी बहुत सुहाती हमको, भाती है ठण्डाई! दूध गरम ना अच्छा लगता, शीतल सुखद मलाई!! पंखा झलकर हाथ थके जब, हमने झूला झूला! ठण्डी-ठण्डी हवा लगी तब, मन खुशियों से फूला!!
नमस्कार मयंक जी .. पहले तो सम्मान के लिये बहुत बहुत बधाई । आप जैसे कलम के धनी महानुभावो का आशीर्वाद की मुझे बहुत ही आवश्यकता है ।आप का मेरे ब्लांग मे आना मेरे लिये निश्चय ही उर्जा का काम करेगी । धन्यवाद आभार सहित…..
aadarniy sir sach! garmi ke dino me ye hi sabhi cheeje man ko bhati hai chahe bachche ho ya bade. bahut bahut sundar laga aapka pyara sa bal-geet. hardik naman poonam
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एक सुन्दर बालकविता..
जवाब देंहटाएंदेखें दुनाली पर
लादेन की मौत और सियासत पर तीखा-तड़का
बहुत प्यारी बाल कविता ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता..
जवाब देंहटाएंगरमी के इस मौसम में
जवाब देंहटाएंप्राची को झूला झूलकर हवा खाते देखा,
तो मन सचमुच ख़ुशियों से फूल उठा!
नमस्कार मयंक जी ..
जवाब देंहटाएंपहले तो सम्मान के लिये बहुत बहुत बधाई । आप जैसे कलम के धनी महानुभावो का आशीर्वाद की मुझे बहुत ही आवश्यकता है ।आप का मेरे ब्लांग मे आना मेरे लिये निश्चय ही उर्जा का काम करेगी ।
धन्यवाद आभार सहित…..
बहुत सुन्दर बाल कविता.
जवाब देंहटाएंaap to har cheez per kavita likhte hai ''aati sunder
जवाब देंहटाएंसुन्दर बालकविता....
जवाब देंहटाएं....प्यारी कविता .सम्मान के लिये बहुत बहुत बधाई .
जवाब देंहटाएंhttp://abhinavsrijan.blogspot.com/
http://baalsahityalekhak.blogspot.com/
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता
जवाब देंहटाएंaadarniy sir
जवाब देंहटाएंsach! garmi ke dino me ye hi sabhi cheeje man ko bhati hai chahe bachche ho ya bade.
bahut bahut sundar laga aapka pyara sa bal-geet.
hardik naman
poonam
बाल-गीत लिखने में सिद्धहस्त हैं। अच्छी बाल कविता। साधुवाद।
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