मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
एक बाल कविता "गांधी टोपी"
गंजापन ढकने मेरीको टोपी,
मेरे सिर पर रहती है। ठिठुरन से रक्षा करती हूँ ,
बार-बार यह कहती है।।
देखो अपनी गाँधी टोपी, सारे जग से न्यारी है। आन-बान भारत की है ये, हमको लगती प्यारी है।।
लालबहादुर और जवाहर जी ने, इसको धार लिया। भारत का सिंहासन इनको, टोपी ने उपहार दिया।।
टोपी पहिन सुभाषचन्द्र, लाखों में पहचाना जाता। टोपी वाले नेता का कद, ऊँचा है माना जाता।।
खादी की टोपी, धोती, कुर्ते,
की शान निराली है।
बिना पढ़े ही ये पण्डित,
का मान दिलाने वाली है।।
टोपी पहन सलामी,
अपने झण्डे को हम देते हैं।
राष्ट्र हेतु मर-मिटने का प्रण,
हम खुश होकर लेते है।। |
टोपियों पर कमाल की रचना के लिए हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना अभिव्यक्ति ... बधाई
जवाब देंहटाएंदशहरा पर्व पर हार्दिक बधाई शुभकामनाएं
टोपी पुराण सुन्दर रोचक।
जवाब देंहटाएंटोपी पुराण सुन्दर रोचक।
जवाब देंहटाएंटोपी पहिन सुभाषचन्द्र,
लाखों में पहचाना जाता।
टोपी वाले नेता का कद,
ऊँचा है माना जाता।।
टोपी पुराण सुन्दर रोचक।
जवाब देंहटाएंटोपी पहिन सुभाषचन्द्र,
लाखों में पहचाना जाता।
टोपी वाले नेता का कद,
ऊँचा है माना जाता।।
सब बीते कल की बातें हैं ,
कुछ ऐसा अब न कहा जाता।