!! चन्दा-मामा !!
नभ में कैसा दमक रहा है।
चन्दा मामा चमक रहा है।।
कभी बड़ा मोटा हो जाता।
और कभी छोटा हो जाता।।
करवा-चौथ पर्व जब आता।
चन्दा का महत्व बढ़ जाता।।
मम्मीजी छत पर जाकर के।
इसको तकती हैं जी-भर के।।
यह सुहाग का शुभ दाता है।
इसीलिए पूजा जाता है।।
जब भी बादल छा जाता है।
तब "मयंक" शरमा जाता है।।
लुका-छिपी का खेल दिखाता।
छिपता कभी प्रकट हो जाता।।
धवल चाँदनी लेकर आता।
आँखों को शीतल कर जाता।।
सारे जग से न्यारा मामा।
सब बच्चों का प्यारा मामा।।
(सभी चित्र गूगल सर्च से साभार) |
Chaand kee bahut sundar prastuti shasri ji
जवाब देंहटाएंलुका-छिपी का खेल दिखाता।
जवाब देंहटाएंछिपता कभी प्रकट हो जाता।।
सरलता से व्यक्त करना आपकी विशेषता है. सुन्दर बाल रचना
very beautiful
जवाब देंहटाएंbahut sundar baalgeet...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसुंदर शास्त्री जी बहुत सुंदर बाल गीत..सबसे प्यारा चंदा मामा...बेहतरीन बधाई
जवाब देंहटाएंचंदा मामा पर बहुत सुन्दर बालगीत...और चित्र बहुत सुन्दर हैं
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह वाह्…………बहुत ही सुन्दर बाल कविता।
जवाब देंहटाएंवाह वाह्…………बहुत ही सुन्दर कमाल की कविता
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