माता के उपकार बहुत,
वो भाषा हमें बताती है!
उँगली पकड़ हमारी माता,
चलना हमें सिखाती है!!
दुनिया में अस्तित्व हमारा,
माँ के ही तो कारण है,
खुद गीले में सोती वो,
सूखे में हमें सुलाती है!
उँगली पकड़ हमारी……..
देश-काल चाहे जो भी हो,
माँ ममता की मूरत है,
धोकर वो मल-मूत्र हमारा,
पावन हमें बनाती है!
उँगली पकड़ हमारी……..
पुत्र कुपुत्र भले बन जायें,
होती नही कुमाता माँ,
अपने हिस्से की रोटी,
पुत्रों को सदा खिलाती है!
उँगली पकड़ हमारी……..
ऋण नही कभी चुका सकता,
कोई भी जननी माता का,
माँ का आदर करो सदा,
यह रचना यही सिखाती है!
उँगली पकड़ हमारी…….. |
बच्चो के लिए संदेशप्रद कविता ....आभार
जवाब देंहटाएंसच्ची ,सीधी संदेश देती रचना ।
जवाब देंहटाएंदुनिया में अस्तित्व हमारा,
जवाब देंहटाएंमाँ के ही तो कारण है,
खुद गीले में सोती वो,
सूखे में हमें सुलाती है!
उँगली पकड़ हमारी……..
माँ से बढ़ कर दुनिया में और कुछ है ही नही..सुंदर कविता..बधाई शास्त्री जी
यही खासियत रूपचंद की
जवाब देंहटाएंहृदय विपुल भण्डार छंद की
सरल शब्द में उनकी रचना
रोज नया सिखलाती है
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
bahut sundar
जवाब देंहटाएंएक सार्थक संदेश देती रचना …………………बेहद सुन्दर भावों से भरी कविता।
जवाब देंहटाएंमाँ से बढ़ कर दुनिया में और कुछ है ही नही,
जवाब देंहटाएंएक सार्थक संदेश देती रचना
बहुत खूबसूरत सन्देश देता बालगीत
जवाब देंहटाएंमाँ के ऊपर बहुत सुन्दर व प्यारी कविता..बधाई.
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