आम टोकरी भरकर लाया!
घर के लोगों ने जी भरकर,
चूस-चूस कर इनको खाया!!
चूस-चूस कर इनको खाया!!
प्राची बिटिया और प्रांजल,
बड़े चाव से इनको खाते!
मीठे-मीठे और रसीले,
आम बहुत इनको हैं भाते!!
बड़े चाव से इनको खाते!
मीठे-मीठे और रसीले,
आम बहुत इनको हैं भाते!!
राज-दुलारो, नन्हे-मुन्नों,
कल मुझको तुम भूल न जाना!
जब मैं बूढ़ा हो जाऊँगा,
इसी तरह तुम मुझे खिलाना!!
कल मुझको तुम भूल न जाना!
जब मैं बूढ़ा हो जाऊँगा,
इसी तरह तुम मुझे खिलाना!!
वाह्…………आमों के माध्यम से ज़िन्दगी का खाका खूब खींचा है।
जवाब देंहटाएंआम तो बहुत खट्टे हैं लाख कोशिस करने पर एक को भी हाथ न लगा सका पर हम कब से अपने बलाग पर आपके आशीर्वाद की राह देख रहे हैं आप हैं कि आते ही नहीं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंपसंद के चटके के साथ आपका धन्यावाद जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव लिए कविता |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
waah waah..!!
जवाब देंहटाएंmera bhi dil kar raha hai khaane ko
haan nahi to..!
अच्छी सीख नन्हें मुन्नों को.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...मन को छू गयी ये रचना...
जवाब देंहटाएंसन्देश देती हुई ...
सुन्दर भाव के साथ दिल को छू लेने वाली कविता लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकल मंगलवार को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सुन्दर
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