रबड़ प्लाण्ट का वृक्ष लगा है,
मेरे घर के आगे! पत्ते खाने बकरे-बकरी, आये भागे-भागे! हुए बहुत मायूस, धरा पर पर पत्ता कोई न पाया! इन्हे उदास देखकर मैंने,
अपना हाथ बढ़ाया!!
झटपट पत्ता तोड़ पेड़ से,
हाथों में लहराया!
इन भोले-भाले जीवों का,
मन था अब ललचाया!! आँखों में आशा लेकर, सब मेरे पास चले आये! उचक-उचककर बड़े चाव से
सबने पत्ते खाये!! दुनिया के जीवों का, यदि तुम प्यार चाहते पाना!
भूखों को सच्चे मन से
तुम भोजन सदा खिलाना!!
अब इस बाल-कविता को सुनिए- अर्चना चावजी के स्वर में-
good message , we should take care the feelings of our Pet. they are a Human being. i support vegetarianism and request other bloggers to be a vegetarian.
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बहुत सुन्दर संदेश देता बाल गीत्।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर और बढ़िया सन्देश देती हुई उम्दा रचना! तस्वीरें बहुत अच्छी लगी!
जवाब देंहटाएंgood message , we should take care the feelings of our Pet. they are a Human being. i support vegetarianism
जवाब देंहटाएंand request other bloggers to be a vegetarian.
thnx to mayank Uncle for posting a nice poem
भूखों को तुम सच्चे मन से,
जवाब देंहटाएंभोजन सदा खिलाना....
हा हा हा
जवाब देंहटाएंबेहद रोचक, मजेदार और मानवता से भरा हुआ.
सुन्दर सन्देश देती रचना...चित्र भी बहुत अच्छे हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता..मजेदार.
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