सुन्दर-सुन्दर और सजीले!
आकर्षक और रंग-रंगीले!!
शिवशंकर और साँईबाबा! यहाँ विराजे काशी-काबा!!
कृष्ण-कन्हैया अलबेला है! कोई गुरू कोई चेला है!!
जग-जननी माँ पार्वती हैं! धवल वस्त्र में सरस्वती हैं!!
आदि-देव की छटा निराली! इनकी सूँड बहुत मतवाली!!
जो जी चाहे वो ले जाओ! सिंहासन पर इन्हें बिठाओ!!
मन में हों यदि नेक भावना! पूरी होंगी सभी कामना!!
बेच रहा मैं भगवानों को! खोज रहा हूँ श्रीमानों को!!
ये सब मेरे भाग्य-विधाता! भक्तों जोड़ो इनसे नाता!! |
sahi kaha kuch becharon ko petki khatir bhagwaan bhi bechne padte hain...
जवाब देंहटाएंnice poem
जवाब देंहटाएंAti sundar, shashtriji
जवाब देंहटाएंबेच रहा मैं भगवानों को!
जवाब देंहटाएंखोज रहा हूँ श्रीमानों को!!
क्या कहें ………सब कुछ सम्भव है…………सुन्दर रचना।
अच्छी है!
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सटीक रचना...
जवाब देंहटाएंबेच रहा मैं भगवानों को!
खोज रहा हूँ श्रीमानों को!!
कोई भगवान भी नहीं खरीदता ...
मनभावन होने के कारण
जवाब देंहटाएं"सरस पायस" पर हुई "सरस चर्चा" में
इन्हें देख मन गाने लगता!
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