“टेलीफोन”
होता कभी नही है मौन!
यह है मेरा टेलीफोन!!
इसमें जब घण्टी आती है,
लाल रौशनी जल जाती है,
हाथों में तब इसे उठाकर,
बड़े मजे से कान लगा कर,
मीठी भाषा में कहती हूँ,
हैल्लो बोल रहे हैं कौन!
यह है मेरा टेलीफोन!!
कभी-कभी दादी-दादा से,
और कभी नानी-नाना से,
थोड़ी नही ढेर सारी सी,
करते बातें हम प्यारी सी,
लेकिन तभी हमारी मम्मी,
देतीं काट हमारा फोन!
यह है मेरा टेलीफोन!! |
बडी ही प्यारी रचना है…………बस मम्मी को फोन काटना नही चाहिये।
जवाब देंहटाएंSachmuch sundar.
जवाब देंहटाएंह्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म मम्मी से मना करना पडेगा.........आखिर मेरा टेलीफ़ोन है.......
जवाब देंहटाएंwow.....टेलीफ़ोन हि मेरा दोसत है जो दादा-दादि और नाना-नानि से आज भि जोडकर रख है!
जवाब देंहटाएं______________
My new post: fathers day card and cow boy