"अ" ‘‘अ‘’ से अल्पज्ञ सब, ओम् सर्वज्ञ है। ओम् का जाप, सबसे बड़ा यज्ञ है।। ‘‘आ’’ ‘‘आ’’ से आदि न जिसका, कोई अन्त है। सारी दुनिया का आराध्य, वह सन्त है।। ‘‘इ’’ ‘‘इ’’ से इमली खटाई भरी, खान है। खट्टा होना खतरनाक, पहचान है।। ‘‘ई’’ ‘‘ई’’ से ईश्वर का जिसको, सदा ध्यान है। सबसे अच्छा वही, नेक इन्सान है।। ‘‘उ’’ उल्लू बन कर निशाचर, कहाना नही। अपना उपनाम भी यह धराना नही।। ‘‘ऊ’’ ऊँट का ऊँट बन, पग बढ़ाना नही। ऊँट को पर्वतों पर, चढ़ाना नही।। ‘‘ऋ’’ ‘‘ऋ’’ से हैं वह ऋषि, जो सुधारे जगत। अन्यथा जान लो, उसको ढोंगी भगत।। ‘‘ए’’ ‘‘ए’’ से है एकता में, भला देश का। एकता मन्त्र है, शान्त परिवेश का।। ‘‘ऐ’’ ‘‘ऐ’’ से तुम ऐठना मत, किसी से कभी। हिन्द के वासियों, मिल के रहना सभी।। ‘‘ओ’’ ‘‘ओ’’ से बुझती नही, प्यास है ओस से। सारे धन शून्य है, एक सन्तोष से।। ‘‘औ’’ ‘‘औ’’ से औरों को पथ, उन्नति का दिखा। हो सके तो मनुजता, जगत को सिखा।। ‘‘अं’’ ‘‘अं’’ से अन्याय सहना, महा पाप है। राम का नाम सबसे, बड़ा जाप है।। ‘‘अः’’ ‘‘अः’’ के आगे का स्वर,अब बचा ही नही। इसलिए, आगे कुछ भी रचा ही नही।। अब इस स्वरावली को सुनिए- अर्चना चावजी के स्वर में- |
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01 जुलाई, 2010
“स्वरावली पढ़िए और सुनिए” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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amazing collection,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा कल के चर्चा मंच पर ली गयी है.
आभार.
kya gazab ki swaravali rachi hai.........bahut hi sundar.
जवाब देंहटाएंप्रेरणास्पद प्रतुति है बालकों के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर स्वरावली है..
जवाब देंहटाएंअर्चना जी को स्वर देने के लिए बधाई