मेरा झूला बडा़ निराला! मम्मी जी ने इसको डाला। मेरा झूला बडा़ निराला।। खुश हो जाती हूँ मैं कितनी, जब झूला पा जाती हूँ। होम-वर्क पूरा करते ही, मैं इस पर आ जाती हूँ। करता है मन को मतवाला। मेरा झूला बडा़ निराला।। मुझको हँसता देख, सभी खुश हो जाते हैं। बाबा-दादी, प्यारे-प्यारे, नये खिलौने लाते हैं। आओ झूलो, मुन्नी-माला। मेरा झूला बडा़ निराला।। |
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21 जुलाई, 2010
“मेरा झूला” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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bahut sundar geet..
जवाब देंहटाएंbachapan yaad aa gaya.
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत...
जवाब देंहटाएंसावन में जब अम्मा झूला डाला करतीं थीं |आज भी आपने अपनी रचना से मुझे वहीँ पहुचा दिया |अच्छी रचना |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
कित्ता प्यारा झूला...सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत गीत! मैं तो अपने बचपन के दिनों में लौट गयी!
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