यह ब्लॉग खोजें

04 सितंबर, 2011

"कद्दू प्यारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

नेता जैसा कद्दू प्यारा।
काशी फल है सबसे न्यारा।।

देवालय में त्यौहारों में।
कथा-कीर्तन भण्डारों में।।

इसका साग बनाया जाता।
पूड़ी के संग खाया जाता।।

जब बेलों पर पक जाता है।
इसका रंग बदल जाता है।।

कद्दू होता गोल-गोल है।
नेता के जैसा सुडौल है।।

बहुत बोलता थोथा-थोथा।
झूठ भरा नस-नस में होता।।

7 टिप्‍पणियां:

  1. keya kamal ki likate hai aap
    pura market aap ko de deya jay to aap puri may hi likh denge na

    जवाब देंहटाएं
  2. कद्दू के गुणों को अच्छे से सजाकर पेश किया है...
    बच्चे अब पसन्द से खाएँगे..रोचक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

    सादर --

    बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह! कद्दू का इतना सुन्दर वर्णन सुनकर तो मेरा मन पूड़ी और कद्दू की सब्जी खाने का हो आया...अंकल, आप हमेशा खाने की चीजों पर इतनी सुन्दर कविता लिखतें हैं कि पढ़ते ही मुँह में पानी आ जाता है...

    जवाब देंहटाएं

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।