यह ब्लॉग खोजें

31 अगस्त, 2013

"बहुत काम का" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता

"बहुत काम का"
यह कुत्ता है बड़ा शिकारी।
बिल्ली का दुश्मन है भारी।।

बन्दर अगर इसे दिख जाता।
भौंक-भौंक कर उसे भगाता।।

उछल-उछल कर दौड़ लगाता।
बॉल पकड़ कर जल्दी लाता।।

यह सीधा-सच्चा लगता है।
बच्चों को अच्छा लगता है।।

धवल दूध सा तन है सारा।
इसका नाम फिरंगी प्यारा।।

आँखें इसकी चमकीली हैं।
भूरी सी हैं और नीली हैं।।

जग जाता है यह आहट से।
साथ-साथ चल पड़ता झट से।।

प्यारा सा पिल्ला ले आना।
सुवह शाम इसको टहलाना।।

नौकर है यह बिना दाम का।
वफादार है बड़े काम का।।

3 टिप्‍पणियां:

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।