यह ब्लॉग खोजें

12 नवंबर, 2013

"सेबों का मौसम" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
एक बाल कविता
"सेबों का मौसम"
IMG_2317देख-देख मन ललचाया है 
सेवों का मौसम आया है ।
कितना सुन्दर रूप तुम्हारा।

लाल रंग है प्यारा-प्यारा।। 
IMG_2314प्राची ने है एक उठाया। 
खाने को है मुँह फैलाया।। 
IMG_2321भइया ने दो सेव उठाये।  
दोनों हाथों में लहराये।। 

प्राची कहती मत ललचाओ।
जल्दी से इनको खा जाओ।।

सेव नित्यप्रति जो खाता है। 
वो ताकतवर बन जाता है।।

1 टिप्पणी:

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।