मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
एक बालकविता "सीधा प्राणी गधा कहाता"
कितना सारा भार उठाता। लेकिन फिर भी गधा कहाता।। रोज लाद कर अपने ऊपर, कपड़ों के गट्ठर ले जाता। वजन लादने वाले को भी, तरस नही इस पर है आता।। जिनसे घर में चूल्हा जलता, उन लकड़ी-कण्डों को लाता। जिनसे पक्के भवन बने हैं, यह उन ईंटों को पहुँचाता।। यह सीधा-सादा प्राणी है, घूटा और घास को खाता। जब ढेंचू-ढेंचू करता है, तब मालिक है मार लगाता।।
सीधा प्राणी गधा कहाता, सिर्फ काम से इसका नाता। भूखा-प्यासा चलता जाता। फिर भी नही किसी को भाता।। |
बहुत प्यारी-भोली रचनाये आपकी लेखनी के कमाल हैं. बच्चों के मनभावन विषयों पर रोचक भी है. जितनी तारीफ़ की जाये कम है.
जवाब देंहटाएंमित्र ! प्रात:कालीन प्रणाम !
जवाब देंहटाएंगधे के बहाने समाज के शोषण का विवरण | बहुत खूब !!
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-