मेरी बालकृति नन्हें सुमन से
बालकविता
"चन्दा मामा"
नभ में कैसा दमक रहा है।
चन्दा मामा चमक रहा है।।
कभी बड़ा मोटा हो जाता।
और कभी छोटा हो जाता।।
करवा-चौथ पर्व जब आता।
चन्दा का महत्व बढ़ जाता।।
महिलाएँ छत पर जाकर के।
इसको तकती हैं जी-भर के।।
यह सुहाग का शुभ दाता है।
इसीलिए पूजा जाता है।।
जब भी वादल छा जाता है।
तब मयंक शरमा जाता है।।
लुका-छिपी का खेल दिखाता।
छिपता कभी प्रकट हो जाता।।
धवल चाँदनी लेकर आता।
आँखों को शीतल कर जाता।।
सारे जग से न्यारा मामा।
सब बच्चों का प्यारा मामा।।
बहुत सुन्दर प्यारी बाल रचना ..
जवाब देंहटाएंचन्दा मामा की कहानी ... सुन्दर शब्दों की जुबानी ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ...
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-